My Marathi Poems (कविता)

अंकुरलो

 

अंकुरलो

नवमासलो

अवतरलो

रडलो ।।

 

स्पर्शिलो

प्यायलो

चुंबलो

गुंगलो ।।

 

रांगलों

चाललो

खेळलो

बोललो ।।

 

संस्कारलो

वाढलो

लिहीलो

वाचलो ।।

 

कमावलो

भुललो

मोहलो

बांधलो ।।

 

भागलो

चुकलो

शिकलो

बदललो ।।

 

भक्तीलो

सुखावलो

स्थिरावलो

ज्ञानावलो  ||

 

थकलो

उपदेशलो

पीकलो

झोपलो ।।

 

शांतलो

बीजलो ||

                                                                                  … एक जीव.

एक श्वास

 

आला गेला

लक्षच नाही

 

हळू जोरात

बंद नाही

 

गरम गार  

पहिलाच नाही

 

राजा रंक

फरक नाही

 

आरंभ झाला

अंत नाही

 

अंत आला

आरंभ नाही

 

सतत आहे

फिकीर नाही

 

कळाला नाही

सुटका नाही


 

एक मन

सुसाटं  बेभानं

चंचल सैराटं

अंतर वादळ

अफाटं अफाटं ।।

 

अस्पष्ट धुकीत

मळीत धुलीन

अशुद्द बेशुद्द

अज्ञानं  अज्ञानं  ।।

 

लोभीत मोहित

क्रोधीत भयीत

अशांत व्याकुळ

सतत सतत  ।।

 

जन्मत मरत

अनंत धावत

सावधं  सावधं

कल्याणं  कल्याणं  ।।